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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

मैं हर सुबह

मैं हर सुबह

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मैं हर सुबह, शिव के मंदिर जाता हूं,

दो घड़ी बैठ, शिव से दिल लगाता हूं।

मैं निज जीवन को पापों से बचाता हूं

प्रभु भक्ति में लीन,औरों को जगाता हूं।।


मैं हर सुबह, प्रभु से प्रीत लगाता हूं,

सुंदर छवि को, दिल में यूं बसाता हैं।

प्रभु के नाम सेे,आत्मा को जगाता हूं,

इसलिये जग में, ईश्वरभक्त कहाता हूं।।


मैं हर सुबह, गुरुवर को पास पाता हूं,

उस देव को अपने मंदिर में बसाता हूं।

हर कठिन मोड़ पर,गुुरुओं को पाता हूं,

गुुरुजनों के उपकार को, गुनगुनाता हूं।।


हर सुबह, सरस्वती मां गीत गाता हूं,

काव्य रूप लिखूं, पास उन्हें पाता हूं।

कल्पना शक्ति बढ़ जाती,मन मंदिर में,

ऐसे में महाकाव्य भी लिख जाता हूं।।


मैं तो हर सुबह, बाग सैर पर जाता हूं,

शुद्ध हवा को अपने उर में बसाता हूं।

तितली,भंवरे को ,फूलों पर ही पाता हूं,

ऐसे में बागों से मैं,निज दिल लगाता हूंं।।


मैं हर सुबह, दोस्तों से मिल आता हूं,

अपनी पुरानी यादें ताजा कर आता हूं।

सुख दुख की बातों में,ध्यान बंटाता हूं,

दोस्ती में निज ध्यान जमके लगाता हूं।।


मैं हर सुबह, घर में समय बीताता हूं,

पूजा ध्यान में मन को,खूब लगाता हूं।

खुशियां घर की बढ़ जाती जब कभी,

मैं खूब खिल खिलकर ही हँसाता हूं।।


मैं तो हर सुबह, ताजा पानी पीता हूं,

बुरे विचार बोलने से,मुंह सी जाता हूं।

अपने सारे काम निवृत्त,निद्रा आती है,

पूरी रात आराम से निद्रा में सो जाता हूं।।


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