STORYMIRROR

Ratna Kaul Bhardwaj

Drama

5.0  

Ratna Kaul Bhardwaj

Drama

खुद से प्यार हो गया

खुद से प्यार हो गया

1 min
1.6K


लोग पूछते रहते हैं तेरा कहाँ आज करार खो गया

कैसे कहे उनसे हम,आज खुद से जरा प्यार हो गया।


ख्वाहिश रखता है ज़माना जुबाँ से न इज़हार करे

किया सबने इस्तेमाल हमें वजूद हमारा दरकिनार हो गया।


मोहब्बत को कोई नापे कैसे पैमाना कोई तो है ही नहीं

बिना शर्त बाँटते रहे हम, दर्द इन्तहा से भी पार हो गया।hu


हमने हर मोड़ पर निभाए रिश्ते बिना परखे बिना जाने

दर्द और सहूँ, चोट और खाऊँ दिल को यह नागवार हो गया।


तरकश में उनके तीर बहुत थे हर पल मुझे आज़माने के लिए

बेवफाई से उनका चलाया हर तीर मेरे जिगर के पार हो गया।


बन गई चुबती यादें कसक और रूह है लहूलुहान

ख्वाहिशें हुई दफ़न अपनी उनका गुलशन गुलज़ार हो गया।


दुनिया मतलबी है बाला साथ कहाँ तक देगी

हमें बेबाकी से अपनी आज छोटा सा इकरार हो गया।


माना कि अंधेरा है घना दिया जलाना कोई गुनाह तो नहीं

तसभी जो हाथ में ली खुद के लिए छोटा उनका आकार हो गया।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama