खारा
खारा
तोड़कर रिश्ता सगाई का न खारा कीजिए
प्यार में जख़्मी नहीं यूं दिल हमारा कीजिए
रोज़ क्या यूं तल्ख़ लहज़ा रखते हो अपना ही
प्यार से मुझको कभी तो पुकारा कीजिए
बहने दो अपने समंदर की मुहब्बत में ए सनम
प्यार में ही यूं नहीं मुझसे किनारा कीजिए
तेरे मेरे प्यार के दुश्मन सभी बन जायेंगे
बीच सब के यूं न आँखों से इशारा कीजिए
ए सनम मुझसे गुलिस्तां में मिलने आया करो
वक्त घर में यूं नहीं तन्हा गुजारा कीजिए
यूं नहीं आँखें नज़ाकत सी करा मुझको करो
रोज उल्फ़त से "आज़म" को ही निहारा कीजिए
आज़म नैय्यर