कहानी
कहानी
सुनो सुनाऊं तुम्हें कहानी
कल आई घर मेरे मेरी नानी।
दूध को ढकना भूल गई,
आंगन खुला छोड़ गई।
नानी को आ गई झपकी,
देख के बिल्ली मासी लपकी।
जब वो दौड़ी- भागी आई,
खा गई सारी दूध - मलाई।
खट-खट सुन के नानी जागी,
डंडा ले बिल्ली के पीछे भागी।
फिसला पांव धम्म से गिर गई,
देख के मेरी भी हंसी फिसल गई।
देख मुझे खुश होता नानी, हंसने लगी
संग मेरे नानी, भूल गई अपनी कहानी।