काश! तुम एक बार आ जाओ
काश! तुम एक बार आ जाओ
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काश! तुम एक बार आ जाओ,
झलक एक बार दिखा जाओ,
मौजू-ए-गुफत्गु कुछ भी न था,
क्यों रूठे एक बार बता जाओ,
तेरे दिए ज़ख्म हमें अज़ीज़ हैं,
देकर ज़ख्म फिर से तड़पा जाओ,
न गुल से न गुलफ़ाम से बहलता है,
इस दिल को आकर बहला जाओ,
भूल जाएं ये जहां होकर मदहोश,
ऐसी मय-ए-इश्क पिला जाओ,
इल्म नहीं था इश्क में रूलाई का,
कैसे रोते हैं आशिक सिखा जाओ,
ता-उम्र रहे मोहब्बत से अनजान,
प्रेम का पाठ आकर पढ़ा जाओ।