खामोशी
खामोशी


दिल टूटता है तो आवाज नहीं होती,
दिल के अंदर कभी शांति नहीं होती !
बाहर जितनी खामोशी होती है,
भीतर शोर उतना ही होता है !!
बाहर जितना सन्नाटा पसरा होता है,
चीखें अंदर उतनी ही गहरी होती है !
खामोशी को समझने वाला वहीं होता है,
जो खुद कभी खामोश होता है !!
मुस्कुराहट जितनी प्यारी होती है,
आंखों में आंसू उतने ही घने छिपे होते है !
दिल का दर्द तो आंखें भी बयां करती है,
पर जो दर्द को समझ पाए ऐसा दिल ही कहा ?