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कभी कभी मैं सोचता हूँ कि …….

कभी कभी मैं सोचता हूँ कि …….

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कभी कभी मैं सोचता हूँ

कि भगवन ने मुझे क्यों पैदा किया,

 क्यों दिए मुझे माँ बाप,

क्यों दिए मुझे बहन और भाई।

फिर मैं ये गीत गुनगुनाता हूँ

दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई,

काहे को दुनिया बनाई..


कभी कभी....

क्यों मेरी ख़ुशी में ये हँसी ठहाके,

और दुःख में ये आंसू आये।

और फिर मैं ये …………..

 जिंदगी कैसी है पहेली हाय ,

 कभी ये हँसाये कभी ये रुलाये...


कभी कभी.....

जिंदगी में इतनी दौड़ धुप करने के बाद,

क्या हमारा लक्ष्य सिर्फ पैसा कमाना है।

और फिर......

 सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है,

 न हाथी है न घोड़ा है वहां पैदल ही जाना है..


कभी कभी....

क्या जिंदगी में सब कुछ मिलने के बाद,

हमने औरों को कुछ दिया है

और फिर …

 ये महलों ये तख्तों ये ताजों की दुनिया,

 ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है...


कभी कभी …

कि शायद यही जीवन चक्र है,

कुछ चीजें शायद हम कभी नहीं जान पाते,

कोई माने या माने न।

फिर .....

ओह रे ताल मिले नदी के जल में नदी मिले सागर में,

 सागर मिले कौन से जल में कोई जाने न...


कभी कभी …

क्या मेरे ये सारे रिश्ते मेरा साथ देते रहेंगे,

क्या मेरे जाने के बाद मुझे कोई याद करेगा, क्या ?

और फिर ....

कसमें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या,

कोई किसी का नहीं ये झूठे नाते हैं नातों का क्या..

 

कभी कभी ……

कि जिंदगी में अगर हार है तो जीत भी है,

ख़ुशी है तो गम भी है ,जिंदगी का शायद यही है स्वरुप।

और फिर …

ये जीवन है इस जीवन का यही है यही है,

यही है रंग रूप...


कभी …

कि जो सारे खुशी के पल मैंने

अपने जीवन साथी के साथ बिताये हैं,

आगे की जिंदगी को भी ऐसे ही बिताना है।

और फिर …

एक प्यार का नगमा है मोज़ों की रवानी है,

जिंदगी और कुछ भी नही तेरी मेरी कहानी है।


कभी कभी ....

कि शायद जो आपकी किस्मत में

लिखा होता है वही होता है,

हालाँकि पहले शायद इसे कभी माना नहीं।

और फिर …

जिंदगी का सफर है ये कैसा सफर,

 कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं।


फिर मन में आता है …

कि शायद भगवन ने जो पथ हमारे लिया बनाया है,

हमें उस पथ पे ही चलना होगा।

और मैं गुनगुनाता चला जाता हूँ..

नदिया चले चले रे धारा चंदा चले चले रे तारा,

तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा....।


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