छल कपट में कुछ नही बन्दे
छल कपट में कुछ नही बन्दे
छल कपट में कुछ नहीं बन्दे,
सहज सरल बन जा
संकीर्ण सोच को कर विस्तृत
असीम क्षितज बन जा
पूर्वाग्रह से ना हो विचलित
प्रतक्ष्य प्रमाण बन जा
राह चुन पर उपकार की
सेवा भाव बन जा
मिटा लकीरें भाग्य जी
कर्म ताज बन जा
त्याग कटू वाणी को
मधुर बोल बन जा
बरसा नमी प्रेम की
धवल व्योम्ं बन जा
मिटा ह्रदय के तिमिर को
ज्योति प्रदीप्त बन जा
पराजित कर अन्तर्द्वन्द को
विजय प्रतीक बन जा
छंटा धुँध निराशा की
उदित भोर बन जा
ज्ञान साधना यथार्थ की
मोक्ष छोर बन जा।