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Ajay Singla

Others

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Ajay Singla

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सूर्य और गुफा

सूर्य और गुफा

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सूर्य, गुफा एक दिन मिले कहीं 

अपनी अपनी कहानी सुना रहे 

घुप्प अंधेरा ये होता है क्या 

सूर्य पूछ रहे गुफा से ।


गुफा को भी समझ ना आया 

प्रकाश, उजाला क्या होता ये 

दोनों ने मिलकर तय किया कि

चलो हम अपनी जगह बदल लें ।


गुफा सूर्य के पास जब पहुँची 

बोली, जो देख रही ना सोचा 

कितना सुंदर, कितना साफ़ है 

दर्शन इस स्पष्ट ज्योति का ।


गुफा तब सूर्य से कहे कि

अब आओ तुम मेरे घर में 

सूर्य जब पहुँचा वहाँ पर 

कहे मुझे कुछ अलग ना दिखे ।


असल में सूर्य जब नीचे आया 

साथ ले आया प्रकाश वो अपना 

रोशनी से पूरा गया भर 

कोना कोना उस गुफा का ।


कहते हैं सिद्ध पुरुष जो होते 

स्वर्ग अपना लेकर चलें साथ में 

इसलिए खुश रहें वो सदा 

चाहे अंधेरे में भी वो रहें ।


अंधकार भरा हो अंदर जो 

डर, आशंका मन में हो भरी

बन जाते हम गुफा समान हैं 

कई बार ना जानते हुए भी ।


नरक समान तुम हो जाते हो 

धन, सम्पत्ति चाहे हो जितनी 

अंदर सब ख़ाली ख़ाली सा 

निरर्थक ज़िंदगी मानो अपनी ।


और जो सूर्य समान तुम 

निरंतर चमको कर्मों से अपने 

अंधकार गुफा का मिटा दो 

सुख ढूँढ लेते हो दुःख में ।


आने वाला नव वर्ष है 

अपना प्रकाश अपने साथ ले 

सूर्य समान इसमें प्रवेश करो 

समृद्ध हो ये तुम्हारे प्रकाश से ।


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