कैद में है बुलबुल
कैद में है बुलबुल
क़ुछ तरीका
तो बदल देते,
कुछ सलीका
तो बता देते !
उनके दुःख
को समझकर,
गले प्यार से
उनको लगा लेते !
किये लाख वादे
दर पे जाके,
मिलेगा काम
सबको यहाँ पर !
विकास की वयार
यहाँ बहेगी,
अमन -शांति
रहेगी यहाँ पर !
हमें लोगों ने चुन
सेवक बनाया,
सबसे जुड़ने का
मंत्र सिखाया !
'प्रधान सेवक 'के
ताज रखकर,
हमें प्रजातान्त्रिक
पाठ पढ़ाया !
पर सत
्ता के मद में
हम चूर हुए,
अपने वादों को
पीछे छोड़ गए !
370 और 35 A
को निष्काषित कर
उन लोगों को
हम भूल गए !
प्रजातंत्र में प्रजा
हमारी शक्ति है,
संघ राज्य के साथ
चलें भक्ति हैं !
निरंकुशता जब
सिर छा जाता है !
प्रलय का संकेत
नजर आता है !
हम दूर रहकर
जश्न में डूब जाएँ,
अच्छा हुआ
370 /35 भूल जाएँ !
पर कैद में है
बुलबुल सिसकती
सैयाद बिन ताल के
ढोलक बजाएँ !