काश ऐसा होता
काश ऐसा होता
क्या ही अच्छा होता जो दुनिया में धर्म न होता
सिख ईसाई हिन्दू मुस्लिम न कोई फिर होता
न गिरजे गुरूद्वारे होते मस्जिद मंदिर न होता
इन्सां बस इन्सां होता - भेद भाव न होता
न आतंकी हमले होते न बम ब्लास्ट होता
दंगे में माँ पिता न मरते, बालक अनाथ न होता
सत्य एक सर्वशक्ति है जिसने संसार बनाया
दे नाम ख़ुदा और ईश्वर हमने भेद भाव फैलाया
जात धर्म बना कर हमने बाँट दिया इन्सां को
रचा विधाता ने - एक ही माटी से हम सबको
धर्म के नाम पर एक दूसरे को मारा जाता है
मानवता के कत्ल का दोषी इन्सां बन जाता है
धर्म एक आस्था है और विश्वास है अपना
क्यों न हम सम्मान करें ये दूजे का हो या अपना
काश हम नफ़रत न फैला कर प्रेम की ज्योत जलाए
अपने बच्चों को हम सौहार्द्र से जीना सिखाएंं
विश्व बड़ा ही सुन्दर होगा धर्म अगर मानवता होगा
क्यों न हम सब मिलजुल कर नफ़रत की आग बुझाएँ !