जवानों की वीर गाथा।
जवानों की वीर गाथा।
आज भी मेरा जवान क्या कहता है :-
ना ही तन चाहिए, ना ही धन चाहिये,
मुझको धरती माँ जैसा सनम चाहिये।
मौत चाहे मिले मुझको हर मोड़ पर,
बस तिरंगा ही मुझको कफ़न चाहिये।
बहुत बहे मेरे आँसू , अब तुमको भी रोना होगा,
जैसे तुमने मुझे सुलाया, तुमको भी सोना होगा।
क्या तुमने सोचा होगा, क्या गुजरी है उसकी माँ पर,
जिसके बेटे के खून किया तूने दिल पर पत्थर रखकर।
एक बार भी तू न सोच सका, क्या बीतेगी उसकी माँ पर,
जिसको तुमने आज मार दिया, अपने दिल पर पत्थर रखकर।
कितनों के दिल को तोड़ दिया तेरे इस अंजाम ने,
कितनों के घर भी तोड़े है तेरे इस घिनौने काम ने,
रोया है परिवार मेरा अब तुमको भी रोना होगा,
जैसे तुमने हमें सुलाया तुमको भी सोना होगा।
अब कौन हमें महफूज करेगा इन पापों के घेरो में,
कैसे मैं भी अब सोऊंगा, गहरे नींदो के घेरो में।
जो मुझे सुलाते थे सोये है बांध कफन अपने सिर पर,
जिनके कारण हम जीते थे आजादी से इस धरती पर ।
आज तेरे इस कामों ने कितने जवान को मारा है,
तेरा भी सिर अब काटूँगा , तू सुन अब प्रण हमारा है।
हँसते-गाते लोगों तो तुमने है बम से उड़ा दिया,
जिसको हमने सोचा न था, पर तुमने ऐसा काम किया।
तेरे इन पापों से तुमको अपना सब कुछ खोना होगा,
जैसे तुमने हमें सुलाया अब, तुमको भी सोना होगा।
