जरुरत है मुझे
जरुरत है मुझे
बारिश हो,
या हो मेरे क़दमों की डगमगाहट,
या फिर चाहे जो हो वजह,
जो कभी मैं लगूँ फिसलने !
तो बढ़कर मुझे थाम लेना,
तुम्हारे हाथ की ज़रूरत है मुझे,
समाज से ऊबकर,
बन्धनों में घुटकर !
और स्वयं में सिमटकर,
जो कभी मैं लगूँ हारने,
तो खुद से मुझको बांध लेना,
तुम्हारे साथ की जरुरत है मुझे।
