जिंदगी मिलेगी न दोबारा
जिंदगी मिलेगी न दोबारा
कितना खुश नसीब है रे तू खुदगर्ज इन्सान
कुछ हसरतें लेकर इस जहाँ में पैदा हुआ है
सब कुछ हासिल हुआ फिर क्यों है परेशान
तेरा दर्द कभी कम तो कभी ज़्यादा हुआ है
तुझ बिन सूनी आज़ वह गलियाँ वह चौबारा
जिंदगी जो मिली है फिर न मिलेगी दोबारा
माना कि सफ़र ज़िन्दगी का आसान नहीं है
जब तक सांस है अनवरत तुझे चलना पड़ेगा
मंजिल की राह में कुछ मुश्किलें भी आयेंगी
कर्मपथ पर चल कर धूप में जलना पड़ेगा
एक दिन बुलंद होगा तेरे भाग्य का सितारा
जिंदगी जो मिली है फिर न मिलेगी दोबारा
साजिशों के जाल काटकर आगे बढ़ते रहना
तेरे जुनून की दीवानगी का हर कोई दीवाना
दिल की ख्वाहिशों को संभाल कर रखना है
हर क़दम घात लगाए बैठा ज़ालिम जमाना
होंसलों की पतवार टूटे ना, मिलेगा किनारा
जिंदगी जो मिली है फिर न मिलेगी दोबारा
बादल भी गरजेंगे तो बिजलियाँ भी चमकेंगी
नए नए इम्तिहान लेकर ज़िन्दगी आजमाएगी
भेड़ियों के झुंड में कहीं भटक मत जाना यार
तेरे क़दमों की आहट से मंज़िल मुस्कराएगी
रात के बाद होगा सुबह का दिलकश नज़ारा
जिंदगी जो मिली है फिर न मिलेगी दोबारा।