जीवन का सच
जीवन का सच
कोरोना ने हमे आज वास्तविकता
दिखला दिया ?
कौन है अपना कौन है पराया ये
परिचय करवा दिया ?
आज मैं कोरोना से ग्रसित हुई ?
कई रोगों से भष्माभूत हुई ?
यह कैसी विपत्ति आई है ?
मौत रूपी संकट साथ में लाई है
मेरे अपने मुझे नहीं पहचान रहे
मेरे पास भी आने से कतरा रहे
आज मैंने भी देखा कि यह क्या
वास्तविकता है ?
असल जिंदगी का यही एक
नतीजा है।
जिसे आप अपना समझो उसी ने
आपको लूटा है ?
चारों ओर मचा कोहराम आज
अपनों ने अपनों को ही लूटा है
कल तक जिसे मैंने जन्म दिया
आज वह हमारे पास ना आते थे
कोरोना हुआ इनको कोरोना
यह कहकर दोहराते थे।
आज जिंदगी की वास्तविकता ने
हमे अच्छे से दर्शन करवा दिया
जिंदगी के इस अंधेरे में अपने खून
ने भी हमें अपना रास्ता दिखा
दिया।
सच कहे तो आज करोना तूने
आज हमें वास्तविकता से दर्शन
करवा दिया।
जिनके लिए मैं भूखे पेट रहती थी
अपने भूखे रह उन्हें निवाला
खिलाया करती थी।
आज वह हमें मिलने से कतराते थे।
हाय बेटा हाय बेटा कह कर जिन्हे
हम प्यार से दुलारते थे ।
आज वह अपनी मांँ के पास
कोरोना होने से पास आने से
घबराते थे।
करोना ने भी मुझे अब पसंद कर
लिया था।
अब मैंने भी सांसे लेना बंद कर
दिया था।
कोरोना ने भी मुझे मृत्यु के
आगोश में ले लिया था।
मैंने भी अब मृत्यु को अब प्राप्त
कर लिया।
आज मेरी शव को कपड़े में बांधी
जा रही थी।
मेरी मंहक ना लगे किसी जन को
इसलिए सावधानी बरती जा
रही थी।
आज मेरी बंधी हुई लाश सबको
रास्ते में देखे जा रही थी।
आज मेरे अपने भी मेरे शव
पहचान ना रहे।
दूर खड़े सब मेरे बेटे द्वार से ही मेरे
लाश को मुंह बिचका रहे थे
कोराना तूने आज जिंदगी की
वास्तविकता को दिखला दिया
इतना बड़ा जिंदगी का सच से तूने
मुझे रूबरू करा दिया।
आज मेरी लाश को बिजली मशीन में अंत्येष्टि मिली है
आज इस मांँ को भी कैसी मुक्ति मिली है ?