टूटा तारा
टूटा तारा
टूट कर कोई तारा गिरा है
टूटने पे कितना दर्द होता
कोई ना फिक्र किया है
इंसान हरदम यहां स्वार्थ के लिए जिया है
तारे टूटते ही उन्हें खुशी हुआ है
सजदे में बैठ किसी को पाने की दुआ किया है
यहां लोग अपने के टूटने पे खुशी मनाते है
यही अपने लोग तुम्हारे शव को भी सबसे पहले जलाते है।
तुम्हें घर से विमुख कर तुम्हारे संपत्ति को अपनाते है
तुम्हारे शव के राख को गंगा में बहाते है।
जब तुम यहां टूटोगे कोई अपना नहीं दिखेगा
कोई अपना दिखेगा तो बस श्मशान या कब्रिस्तान ही दिखेगा
टूटते का यहां कोई संगी ना होता
बंदगी से यहां ख़ुदा नहीं मिलता
टूट कर कोई तारा गिरा है।
आज फिर से कितना खुशी हुआ है
तारे टूटते ही किसी ने किसी को पाने की आरजू किया है।