जीने को और क्या चाहिए
जीने को और क्या चाहिए
मिल जाए तुम्हारी एक झलक
एक पल भी झपके न मेरी पलक
नियामतों का सजदा हो जाए
तेरी शोखियों में जिंदगी मयकदा हो जाए।
इस जहां में और जीने को और क्या चाहिए।
तेरे आने से भी वीराने में बहार आ जाए
जिंदगी की पतझड़ में फूलों की शुमार आ जाए
तेरी मदहोश अदा की खुमार आ जाए
मंझधार में फंसी नैया का खेवनहार आ जाए।
इस जहां में और जीने को और क्या चाहिए।
साँसों में समाए तेरी साँस सरगम हो जाए
मैं और तुम, हम हो जाए
हमनशीं, हमनवा प्यारे जानम हो जाए
दो जिस्म एक जान हमदम हो जाए।
इस जहां में और जीने को और क्या चाहिए।
हीर रांझा जैसे दीवाने हो जाए
दुनिया में सिर्फ हमारे तराने हो जाए
दीन दुनिया की बंदिशों से अनजाने हो जाए
बस अपनी मस्ती में मस्ताने हो जाए।
इस जहां में और जीने को और क्या चाहिए।