तुम बिन
तुम बिन
तुम बिन सावन आग लगाए
पीहू-पीहू मयूरा मन भावन राग गाए
विरह अगन में जिया धड़क-धड़क जाए
तुम बिन सावन आग लगाए ।
स्वाति नक्षत्र की बूँद के
इंतजार में बैठी चकोर
कारे-कारे बदरा पे बाग- बाग हुई जाए
हवा के रुख से मुख मोड़ गई बदरी
बिन बरसा सावन तन-बदन में आग लगाए।
खुशगवार मदमस्त हुई चहूँ दिसी
झमाझम बरसा सावन भाग जगाए
हरियाली तीज के झूलन पड़े
साजन सजनी को इश्क में झुलाए
उल्लासित हर्षित सखियाँ चिढ़ाए
तुम बिन सावन आग लगाए।