जिंदगी का असली पता
जिंदगी का असली पता
जिंदगी का असली पता
श्मशान घाट में मिला था
कुछ कटा-फटा
धू-धू कर जल रहा था ।
न कोई चीख
न कोई चिल्लाहट
बस हवा में
धुँए सा बिखर रहा था।
जिन्होंने ताउम्र
शिकवे-शिकायतों की
पातियाँ सजाई थी
वह सजल नेत्रों से
राख को सहला रहे थे।
दौलत और शोहरत
के शहंशाह
दौलत और शोहरत
की बदौलत
जिंदगी के असली पते से
नाम अपना मिटा रहे थे ।
मिट गया है
अपना नाम
इस भ्रम में
वो मन अपना
बहला रहे थे।
मगर मिटी नहीं
उस पते की तजरीह
शाहों के शहंशाह भी
चार कंधों पर झूलते हुए
इसी पते पर आ रहे हैं। जिंदगी का असली पता&nb
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जिंदगी का असली पता
श्मशान घाट में मिला था
कुछ कटा-फटा
धू-धू कर जल रहा था ।
न कोई चीख
न कोई चिल्लाहट
बस हवा में
धुँए सा बिखर रहा था।
जिन्होंने ताउम्र
शिकवे-शिकायतों की
पातियाँ सजाई थी
वह सजल नेत्रों से
राख को सहला रहे थे।
दौलत और शोहरत
के शहंशाह
दौलत और शोहरत
की बदौलत
जिंदगी के असली पते से
नाम अपना मिटा रहे थे ।
मिट गया है
अपना नाम
इस भ्रम में
वो मन अपना
बहला रहे थे।
मगर मिटी नहीं
उस पते की तजरीह
शाहों के शहंशाह भी
चार कंधों पर झूलते हुए
इसी पते पर आ रहे हैं।