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Neha Pandey

Tragedy

3  

Neha Pandey

Tragedy

ज़हर का प्याला

ज़हर का प्याला

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कुछ तो यहां बदल रहा है

ज़हर का प्याला छलक रहा है।


धुआँ - धुआँ सी शाम हुई है 

सुबह भी तो सुस्त पड़ी है,

दिन का राही भटक रहा है 

ज़हर का प्याला छलक रहा है।


लहरों में तूफ़ान उठा है 

बिजली में तकरार हुई है ,

सैलाब में सबकुछ बह रहा है 

ज़हर का प्याला छलक रहा है।


महामारी की मार पड़ी है 

बेरोज़गारी की तलवार चली है ,

हर दिन कोई लटक रहा है 

ज़हर का प्याला छलक रहा है ।


कुछ तो यहां बदल रहा है

ज़हर का प्याला छलक रहा है।



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