जग जाओ
जग जाओ
सामाजिक कुरीतियों, वैमनस्यता, तिरस्कार अंधविश्वास,
नारियों पर अत्याचार और ना जाने कितने विषयों को
लिखकर आवाज बुलंद करनी है !
ये क्या तुम अपने कानों में रूई डाल कर सो रहे हो ?
अपनी नींदो में चमकते सपनों में खो जाते हो ?
नींद खुलती है तो नई फिल्मों को देखते हो,
कभी पुरानी मेमोरीस के पन्ने को पलटते रहते हो !!
उठा लो गांडीव अपनी कलम को अपनी तलवार बना लो,
कोने में जो पड़ी कोरे कागज पर इतिहास लिख दो !!
महंगाई, बेरोजगारी, झूठे वादे का पर्दाफाश करो,
स्वास्थ्य सेवा की कमी, लाल फीताशाही का चलन
लिख के ही हम सबको बता सकते हैं !
बौद्धिक जागरण से ही क्रांति के बिगुल बजते हैं !!
आज है तुम्हारी आवश्यकता शंखनाद करने की !
अपनी लेखनी से एक नयी शक्ति भरने की !!