जादू -मां पापा के सानिध्य में
जादू -मां पापा के सानिध्य में
मां के प्यार में वो जादू है
जो हर विपदा को दूर कर जाता है
बचपन में चोट लगने के बाद
मां की फूंक से ही जख्म ठीक हो जाता था
कोई काम जो नहीं हो पाता था
वो मां की एक सीख कि
सब संभव है सब हो जाएगा
से सब हो जाता था
मां के हौसले मां की इच्छा शक्ति से
मेरे हर कार्य को मैंने सँवारते से देखा है
इसीलिए मां मुझे जादू की गुड़िया लगती है
पापा की बातों में वो जादू था कि
पापा की जेब भरी हो या ना हो
बस मुंह से निकली हर बात
हर जरूरतें पूरी हो जाया करती थी
पापा की हिम्मत और जिंदादिली से
मेरे हर कार्य को पूरा होते देखा है मैंने
इसलिए पापा मुझे जादू के जनक लगते हैं
मेरी बात मानो या ना मानो
जादू है मां-बाप के दुलार और प्यार में
उनकी परवरिश में उनकी सीख में
वरना प्रभु इस धरती पर
कभी बालक बन ना आते
अपने माता-पिता का दुलार व प्यार पाने के लिए।
