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संदीप सिंधवाल

Classics

3  

संदीप सिंधवाल

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मेरे राम चौपाई

मेरे राम चौपाई

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जन जन समाहि तोरी काया सुख

शांति देत तोरी छाया।


तुच्छ सबहुं मैं मोरी माया

राम नाम जबहुं हिय आया।


तुम चलो तो हि हनुमत वीरा

सिया-राम छवि जो वक्ष चीरा।


धन्य है भक्ति शीतल नीरा राम

नाम हरत तन मन पीरा।


दर्शन को हि फिरत मन बांवरा

हर दुख में तुझे हि जाप रहा।


उलझे जीवन, दिजै आसरा  

मात-पित-बंधु हरि साध रहा।


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