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निशान्त मिश्र

Inspirational

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निशान्त मिश्र

Inspirational

आशाओं का दीपक

आशाओं का दीपक

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धीमी ही सही, मेरी लौ को

गर जलती है, तो जलने दे

तम के अनन्त शून्य में भी

मेरा अस्तित्व नहीं खोता

मैं आशाओं का दीपक हूं

गर जलता हूं, तो जलने दे


जीर्ण शीर्ण अरु क्षीण सही

संकीर्ण नहीं आयाम मेरा

क्षुब्ध क्षुधित बंजर मन में

मैं सुधा स्रोत, अमरत्व सोत

मेरी बाती मेरा तप है

गर तपता हूं, तो तपने दे


मैं आशाओं का दीपक हूं

गर जलता हूं, तो जलने दे


श्रमसाध्य प्रकाश अर्घ्य मेरा

चिर आशाओं के धारक को

मैं भस्वत, भस्वर, भौमिक हूं

अन्तर्वेशित दैदीप्य ओज

मैं झंझावत का अनुरागी

मुझ को और मचलने दे


मैं आशाओं का दीपक हूं

गर जलता हूं, तो जलने दे


मैं वाहक बनकर आशा का

संधान करूँ जिज्ञासा का

मृत स्वप्नों को मैं क्यों ढोऊं

तू लाद रहा मुझ पर हर क्षण

मुझ को उन स्वप्नों से है भय

मुझ को भय में मत ढलने दे


मैं आशाओं का दीपक हूं

गर जलता हूं, तो जलने दे


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