मनमीत
मनमीत
मन -मीत
अधरों पर बंशी धर मोहन
छेड दे कोई गीत
ओ मेरे मन -मीत अब तो आ,
मेने तो सुध-बुध भी,
बिसराई है
कोयल ने कूक छेडी,
पर मेरे मन में उदासी,
घनेरी है
अमीया महकी, ऋुत भी चहकी,
पर बिन तेरे प्रीत ,रीत लागे,
झूठी है
ओ मेरे-मन -मीत लौट आ कि,
नैना थके "राधा"
तेरी राह तके हैं !