STORYMIRROR

Ajay Yadav

Classics

3  

Ajay Yadav

Classics

शून्य

शून्य

1 min
262

अर्थ हूं और मूल्य हूं,

फिर भी अर्थ हीन हूं,

दिशा में और दशा में,

तन्हा लम्हों का साथ हूं,


एकांत वास का अर्थ हूं,

भीड़ में, बस मैं संग हूं,

सूना पन हूं आंखों का,

हर मूल्य में मैं गौण हूं,


ज्ञान भी, विज्ञान भी मैं,

गणक का मैं आधार हूं,

यूं तो मूल्य हीन हूं मैं,

मैं तो केवल शून्य हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics