Monika Sharma "mann"
Classics
सबका हृदय खिल जाए
जब उपवन में बहार आए
रंग बिरंगी दुनिया में फूल ही फूल
खिल जाए नई उमंग से नई तरंग से
प्रकृति को हृदय लगाएंँ
बहुत कर चुके नाश इसका अब
हरियाली चारो तरफ फैलाएंँ।
दर्द
मस्तिष्क में ...
सम्मान करें
पर्यावरण का द...
इंसान की माया
हरियाली फैलाए...
प्रकृति का श्...
हमारा आधार
पर्यावरण महान
प्रकृति के आध...
तृप्ति अतुल्य दुनिया से बेखबर है ये दुनिया रिश्ता जहाँ मे ये इक अमूल्य। तृप्ति अतुल्य दुनिया से बेखबर है ये दुनिया रिश्ता जहाँ मे ये इक अमूल्य।
जिनकी जड़ें जितनी गहरी होती है, वो पेड़ उतनी ही घनी छाँव देती है पनाह पाती जिंदगी एक-एक कर चले ... जिनकी जड़ें जितनी गहरी होती है, वो पेड़ उतनी ही घनी छाँव देती है पनाह पाती जि...
तजुर्बा तो आ जाता है समय के साथ कर्म करते करते खुद-ब-खुद।। तजुर्बा तो आ जाता है समय के साथ कर्म करते करते खुद-ब-खुद।।
निवेदन नहीं किया घोंसला जब बनाया बया ने । निवेदन नहीं किया घोंसला जब बनाया बया ने ।
जीवन की इस आपाधापी में फिर कैसे ढूँढते खुद का ही बचपन है। जीवन की इस आपाधापी में फिर कैसे ढूँढते खुद का ही बचपन है।
संघ के पथ पर चलने कबसे उत्सुक थी। संघ के पथ पर चलने कबसे उत्सुक थी।
समझ में आ जाए जो बात लिख देता हूं सरल शब्दों में। समझ में आ जाए जो बात लिख देता हूं सरल शब्दों में।
कागज़ की कश्तियाँ थी जहाँ जहाँ प्रकाश भी मिट्टी वाला था। कागज़ की कश्तियाँ थी जहाँ जहाँ प्रकाश भी मिट्टी वाला था।
दम तोड़ने से पहले दीया, फड़फड़ाता जा रहा है ! दम तोड़ने से पहले दीया, फड़फड़ाता जा रहा है !
किसी के जाने से सासे नहीं रूकती जिंदगी है जो किसी तरह चल रही है। किसी के जाने से सासे नहीं रूकती जिंदगी है जो किसी तरह चल रही है।
वीर जवानों ने दिया बलिदान, तभी तो यह देश है इतना माहान। वीर जवानों ने दिया बलिदान, तभी तो यह देश है इतना माहान।
फिर क्या भरोसा फिर मिले मुझे मधुभाषी। फिर क्या भरोसा फिर मिले मुझे मधुभाषी।
चलो सबका साथ सबका विकास हो आओ रोटी के टुकड़े का ही अनुबंध करते हैं। चलो सबका साथ सबका विकास हो आओ रोटी के टुकड़े का ही अनुबंध करते हैं।
शीघ्र हृदय से पढ़ ले तू समुद्र से मेरी चाहत। शीघ्र हृदय से पढ़ ले तू समुद्र से मेरी चाहत।
वैराग्य, आत्मचिंतक बन नरहरिदास के अनुगामी हुए । वैराग्य, आत्मचिंतक बन नरहरिदास के अनुगामी हुए ।
कटाई, बुनाई के खेत-खलिहान कण-कण में स्थिरता का वास। कटाई, बुनाई के खेत-खलिहान कण-कण में स्थिरता का वास।
सर्द की रात में उसकी याद भी अलाव सी हो जाती है वो खयालों में आती है जुनूँ सी पिघल जाती है, उसकी ... सर्द की रात में उसकी याद भी अलाव सी हो जाती है वो खयालों में आती है जुनूँ सी ...
इस इश्क़ ने जैसे हमें कोई मुजरिम बना रखा है ! इस इश्क़ ने जैसे हमें कोई मुजरिम बना रखा है !
हमको दुनिया से बेगाना किस पर करें भरोसा अपने ही हो जाएं जब बेवफा। हमको दुनिया से बेगाना किस पर करें भरोसा अपने ही हो जाएं जब बेवफा।
रावण परम ज्ञानी था पर अभिमानी था। रावण परम ज्ञानी था पर अभिमानी था।