दर्द
दर्द
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आज पुरानी किताबें देखने लगी
लगा जैसे सांसें थमने सी लगी
कुछ मिला था उनकी गहराई में
छिपा हो कोई रात की परछाई में
देखा उसे तो अपनी पहचान याद आई
कौन हूँ मैं उसकी यह न जान कभी पाई