इश्क़ मोहब्बत व्यापार
इश्क़ मोहब्बत व्यापार
हर मोड़ पर मैं तुम्हारे इंतज़ार में खड़ा रहा
तुम्हे मुड़ मुड़ कर देखता रहा
लेकिन तुम थी नही वहाँ
शायद तुम चली गयी थी किसी और के साथ
इस छोटी सी जिंदगी में
तुम मेरे इंतज़ार में क्यों वक़्त जाया करोगी भला?
तुम ने बिल्कुल सही किया जो तुम आगे बढ़ गयी
तुम्हे तुम्हारी मंज़िल जो मिल गयी!
राह में मुझे भी कई हमसफर मिले
सारे थे लेकिन तुम नही थी
मेरी कुछ मसरूफियात थीं
कुछ जिंदगी की दुश्वारियाँ थीं
ये इश्क़ और मोहब्बतें भी
कभी बेकार लगती है
जिंदगी के मसलों के आगे बौनी हो जाती है.....
ये प्रेम,संमोहन और प्यार व्यार
ये फ़क़त व्यापार है
कहने को तो ये दिल का मामला है
हक़ीक़तन नफ़े नुकसान का मामला है.......