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Palak Inde

Drama Romance Tragedy

4.5  

Palak Inde

Drama Romance Tragedy

इश्क़ का ख़ुमार

इश्क़ का ख़ुमार

1 min
477


वाक्या कुछ उन दिनों का था

ये मामला जब दो दिलों का था

तब नींद की कमी थी

चैन भी नहीं था

हमारे बीच शब्द नहीं थे

मगर, मौन भी नहीं था


वो इश्क़ का खुमार

हम पर कुछ इस कदर चढ़ा था

अपनी मुस्कुराहट में मेरी खुशी लिए

वो मेरे सामने खड़ा था


क्या गज़ब की बात थी

मुझमें वो बीस(20) की नादानी

उनकी बाइस(22) में भी समझदारी

बिना बोले ही हम

हाल -ए -दिल जान जाते

कुछ ऐसी थी साझेदारी


बेनाम सा, एक रिश्ता जुड़ गया

मेरा दिल खुद-ब-खुद

उनकी तरफ मुड़ गया

कैसे वो वक़्त बीत गया,

कुछ पता ही न चला

उनके इश्क़ के किस्से लिखना

कब बन गई मेरी कला


न जाने कैसे वो जोश 

ठंडा पड़ने लगा

वो बेनाम रिश्ता

अपने वजूद के लिए लड़ने लगा


कुछ आशाएँ धूमिल हुईं

कुछ धाराएँ टूट गयी

थामकर रखा था जिसे हमने

हाथों से वो लकीरें छूट गईं


साथ निभाने का वादा कर

कुछ लोग हमेशा साथ रहे

ये ज़रूरी नहीं

मैं वाकिफ थी उनकी मजबूरी से

कि मुझसे दूर होना

उनकी मर्जी नहीं


'हमें अलग होना होगा

ये कहकर वो चले गए

उनकी कही बात सुनकर भी

हम मुस्कुराते चले गए


वो इश्क़ का खुमार 

उन पर कुछ इस कदर चढ़ा था

कि मेरी मुस्कुराहट देख

वो आँसू लिए खड़ा था



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