'इश्क़ की तौहीन'
'इश्क़ की तौहीन'
नेमत है ख़ुदा की इश्क़, न करना इश्क़ की तौहीन,
रहमतों से मिला करता है उन्हें जो होते हैं ज़हीन।
नसीबों वाले होते हैं बड़े जिन्हें मिलती है मोहब्बत,
छाए ज़िंदगी में प्यार का रंग, ज़िंदगी हो जाती रंगीन।
खूबसूरत इससे जहाँ में न कोई और शय है मान लो,
तोहफ़ा नाज़ुक होता अहल-ए-दिल, कर लो यक़ीन।
न टूटे भरोसा कभी एक दूजे का, कोशिश ये करना,
दीवारें यक़ीं की दरक न जाए, हुआ करती ये महीन।
मिले गर सच्ची मोहब्बत, छुपा लेना दिल की गहराइयों में,
वफ़ा मिला करती क़िस्मत से, ज़िंदगी को बनाती ये हसीन।

