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Anurag bharti

Fantasy

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Anurag bharti

Fantasy

इंतज़ार

इंतज़ार

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तुम इजाजत तो दो इक दफा मैं इसी इंतज़ार में था,

जबसे देख लिया है तुम्हें तेरी कसम तेरे ही याद में था।

मिला है जरिया जो मुस्कुराने का वर्षों बाद

या ख़ुदा मैं इसी के तलाश में था।


लोग परेशान हैं यहाँ अपने जिन सपनों को पूरा करने में

वक़्त बे वक़्त उनके टुकड़े मेरे पास हजारों की तादाद में था।

बिक रही थी जहाँ मेरी खुशियाँ कुछ मजबूरियों के बदले

मैं वही पर खड़ा उसी बाजार में था।


हुआ कुछ ऐसा मेरी ख्वाहिशों के संग काशिद

लोग कहते हैं मैं कुछ दिनों तक पड़ा उसी विषाद में था।

सब कहते हैं मैं अपने रास्ते बदल कर आगे बढूँ,

मगर वो ये नहीं जानते जाते-जाते उसका हाथ मेरे ही हाथ में था।


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