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Anurag bharti

Tragedy

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Anurag bharti

Tragedy

बदलाव

बदलाव

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 तुझे दुनियां के इस रंग में ढलते देख, अक्सर परेशान हो जाते हैं हम।

हम दोनों की कोशिश रंग लाएगी, ये समझाने में तुझे हैरान हो जाते हैं हम।

हो सकता है की मैं साबित करने में इस बात को लगा रहता हूं,

मगर तुम समझती नहीं इसलिए चुपचाप बेजान हो जाते हैं हम।

तुम कहती हो किस्मत में जो लिखा हो वही होगा,

मगर सच ये है की किस्मत के भरोसे तुझे छोड़ कर बेकाम हो जाते हैं हम।

अगर मोहब्बत सच्ची हो तो किस्मत भी साथ देती है,

ये बात हर दफा समझा कर फिर नाकाम हो जाते हैं हम।

अकेले इस रात की तन्हाई को क्या जवाब दूं मैं,

अब तुम्हें इस कदर चुप देख कर गुमनाम हो जाते हैं हम।


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