ऐसाही करना होगा
ऐसाही करना होगा
मैंने जो कुछ भी किया दोस्तों के खातीर
मैं तो हूँ उनका शागिर्द , वो होगा शातीर
जिसकी खाई रोटी उससे रिश्ता निभाता हूँ
मेरा क्या हैं जी झोला उठाकर निकलता हूँ
कमबख़्तो जो तुम माँ बाप के नहीं हुये
मेरे क्या ख़ाक होंगे तुम अंधभक्तो
मैं जो कुछ भी करूँगा मेरी मर्जी
तुम जो कुछ भी समझो तुम्हारी गलती
कोई नहीं किसी का मतलबी हैं दुनिया
झुकती हैं दुनिया मेरा जैसा चाहिए
अपनी मंजिल खुद तुमने हैं चुनी
मैं तो चला अब तुम तुम्हारा देखो
क्या कहा तुमने ? जुबान संभाल के
मुफ्त में कुछ नहीं मिलता अंधभक्तो
अभी भी वक्त हैं वरना पछतावोगे
तुम चाहो न चाहो ऐसाही करना होगा
