गुनाह
गुनाह
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आज मालूम हुआ मुझे इस जहाँ में मोहब्बत से बड़ा गुनाह नहीं होता।
इश्क न करे तो कोई जुदा नहीं होता दिल से बड़ा इस जहाँ में कोई नादान नहीं होता।
मोहब्बत जो कर लो तो जानोगे मोहब्बत से बड़ा मजहब और मेहबूब से बड़ा कोई खुदा नहीं होता।
अगर करीब न आये तो प्यार जवां नहीं होता अगर सच्ची हो मोहब्बत तो दायरा नहीं होता।
क्यों करते हो शआज मालूम हुआ मुझे इस जहाँ में मोहब्बत से बड़ा गुनाह नहीं होता।राब को बदनाम मेरे दोस्त मोहब्बत करके देखो इससे ज्यादा किसी मे नशा नहीं होता।
अगर गुमान हो अपनी सोहरत पर तो आशिकों के कब्र से हो आना तब समझोगे मोहब्बत से बड़ा कोई पहचान नहीं होता।