मेहबूब की खूबसूरती
मेहबूब की खूबसूरती
एक खुशियों में छुपी बहुत सारी उलझनें,
जैसे किसी मन में छुपे सवाल का खूबसूरत सा जवाब मिल जाना।
वो बेबाक नशें में गले से उतरता हुआ शराब की एक बूंद,
जैसे किसी दर्द के एहसास को पी जाना।
वो सुलगता हुआ शाम का दहकता हुआ एक चिराग,
एक मचलते जज्बात से टकरा कर भावनाओं के पंखुड़ियों का खिल जाना।
जोर की तूफान में बिखरी हुई रंग की वो पहचान
जैसे सादगी में मिल कर उसी का हो जाना।
गुमशुम सा मिला हुआ एक निशब्द सा प्यार,
खुद को ढूंढ कर जैसे खुद में ही खो जाना।
नजरों का एक रहस्यों से भरा ऐसा रंग,
जैसे मुस्कुरा कर देखते ही किसी के ख्वाबों में खो जाना।