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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama

इन्तज़ार

इन्तज़ार

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समा बना है मस्त सुहाना,

शबनम बन के आ ज़ाओ,

इश्क का ज़ादु चला दो मुझ पर, 

मदहोंशी में डूबा जाओ।


नशीली नज़र तुम्हारी है,

नज़र से ज़ाम छलकता है

दिलके मयखाने में शोर मचा है

आ कर महफ़िल सज़ा जाओ।


इन्तज़ार है तुम्हारा दिल से, 

महफ़िल सूनी सूनी लगती है,

इश्क की आग दिल में उठी है,

आ कर आग बूझा ज़ाओ।


तुम्हारे बिन ये शराब भी मुझे,

शर्बत जैसी लग रही है,

मदमस्त तुम्हारा यौवन है "मुरली" 

आकर आलिंगन दे जाओ।


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