इन्तज़ार
इन्तज़ार
समा बना है मस्त सुहाना,
शबनम बन के आ ज़ाओ,
इश्क का ज़ादु चला दो मुझ पर,
मदहोंशी में डूबा जाओ।
नशीली नज़र तुम्हारी है,
नज़र से ज़ाम छलकता है
दिलके मयखाने में शोर मचा है
आ कर महफ़िल सज़ा जाओ।
इन्तज़ार है तुम्हारा दिल से,
महफ़िल सूनी सूनी लगती है,
इश्क की आग दिल में उठी है,
आ कर आग बूझा ज़ाओ।
तुम्हारे बिन ये शराब भी मुझे,
शर्बत जैसी लग रही है,
मदमस्त तुम्हारा यौवन है "मुरली"
आकर आलिंगन दे जाओ।