इंसान की भूख
इंसान की भूख


जब-जब फ़लक से बारिश होती है
इस वसुंधरा की प्यास पूरी होती है
पर हम इंसानों का क्या होगा, साखी,
जिनकी प्यास कभी पूरी न होती है
सब ही जानवरों का पेट भर जाता है
हम इंसानों का पेट कभी न भरता है
पूरी उम्र धन इकट्ठा करने में रहता है
अंत मे हाय धन करते हुए मरता है
धरती पे सबकी भूख खत्म होती है
इंसान की भूख कभी न खत्म होती है
ख़ुदा ने बनाया इंसान अच्छाई के लिये,
इंसान हो गया शैतान बुराई के लिये
कब समझेंगे आज के हम,इंसान लोग
संतोष रखने से ही अद्भुत तृप्ति होती है