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Monika Raghuwanshi

Tragedy Inspirational

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Monika Raghuwanshi

Tragedy Inspirational

दुनिया से यारी

दुनिया से यारी

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दुनिया से यारी है इतनी,

जीवन में संघर्षों जितनी।

पूछो,यारी की गहराई कितनी ?

स्वार्थ की नदिया उथली जितनी।


पल पल तुमको नापने बैठी,

दुनिया की तो रीत ही इतनी।

खुद का ज्ञान भले ही आधा,

तुमको तौले छटाँक जितनी।


भूल करो या संभल के चल लो 

इसकी सोच ही छोटी उतनी,

कूटनीति का चोला ओढ़े ये,

भले बुरे की पहचान कितनी ?


हार जीत के पैमानों में,

खो गई इसकी गरिमा कितनी ?

बंद कर लिये स्नेहद्वार अब,

धुँध भरी है सड़क इतनी।


पूछो,यारी की गहराई कितनी ?

स्वार्थ की नदिया उथली जितनी।


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