जी चाहता है !!
जी चाहता है !!
कभी हम मुस्कुराते है हाल-ऐ-दिल पे
कभी बस निहारने को जी चाहता है।
बड़ा मुकम्मल है जी दिल का तराना,
रोज़ यारो को सुनाने का जी चाहता है।
इलाज़ तो बताइये इस हाल-ऐ-दिल का,
इसे और बेहतर बनाने को जी चाहता है।
कभी बेचैन कभी मदमस्त हुए फिरते है,
कभी इनका मचल जाने को जी चाहता है।
गम तो होंगे ही मुसलसल राहें-ऐ-ज़िन्दगी में,
पर ख़ुशी के गुब्बारे उड़ाने को जी चाहता है।
कभी हम मुस्कुराते है हाल-ऐ-दिल पे,
कभी बस निहारने को जी चाहता है…।
