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Monika Raghuwanshi

Abstract Classics Inspirational

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Monika Raghuwanshi

Abstract Classics Inspirational

विचारों की बंदिनी

विचारों की बंदिनी

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वो शब्दों की संगिनी,

वो बंदिनी विचारों की।

काजल लगे स्याही उसे,

वो दामिनी आचारों की।


विचरती वो व्याकुल सी,

आत्ममंथन के भँवरो में।

सम्मत सी सुशील बन,

दधकती वो ज्वाला सी।


पोषक है वो जन्मदात्री भी,

शोषण की परिचायक भी।

style="background-color: rgba(255, 255, 255, 0);">पथगामिनी है निडर भी वो,

बाध्य है कभी,याचक भी।


कस्तूरी सा मोह उसमें,

मरुस्थल में जीवांत सी।

कभी निश्चल,कभी निशांत,

निर्मोही भी बने नितांत सी।


अविरल सी एक धारा है वो,

नित बहतीं आकांक्षी सी।

है कठिन पर करुणामयी,

कामिनी भी और मोहिनी सी।


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