बन्द रहेंगे मन्दिर मस्जिद
बन्द रहेंगे मन्दिर मस्जिद
बन्द रहेंगे मंदिर - मस्जिद ,
खुली रहेंगी मधुशाला।
गांधी जी के देश मे देखो,
क्या होता है गोपाला ।
हर जगहा त्राहि त्राहि है ,
पल पल संकट बढ़ता है।
रक्त बीज असुर कोरोना
दिन प्रतिदिन ये बढ़ता है।
इस आलम में निर्णय ऐसा,
समझ नही आने वाला।
बन्द रहेंगे मंदिर मस्जिद,
खुली रहेगी मधुशाला।
महामारी ले काल रूप अब,
तांडव नृत्य दिखाती है।
लाशों के अंबार लगा कर,
हँस हँस के इठलाती है।
ऐसे वक्त में भी सरकारें ,
जपती नोटों की है माला।
बन्द रहेंगे मंदिर मस्जिद ,
खुली रहेगी मधुशाला।
भेड़ बकरियों से फैले हैं
ठेके और चौराहों पर।
पड़े हुये है कुछ देखो ये,
गाँव शहर की राहों पर।
फेलायेंगे रोग यही अब,
न बचा पायेगा रखवाला।
बन्द रहेंगे मंदिर मस्जिद,
खुली रहेगी मधुशाला।
निर्णय लेने में सरकारों ने,
न बिल्कुल भी शोध किया।
नये आंकड़ो ने भी आकर,
इसका बढ़के विरोध किया।
मगर समझ न आया उनको,
मुख पर पड़ा रहा ताला।
बन्द रहेंगे मन्दिर मस्जिद,
खुली रहेगी मधुशाला।
नही मिल रहा राशन पानी,
हालत बिल्कुल खस्ता है।
सरकारों की नजर में लगता,
मानव जीवन सस्ता है।
तभी अटल है निर्णय पर वो,
फैले भले साया काला।
बन्द रहेंगे मंदिर मस्जिद ,
खुली रहेगी मधुशाला।
लम्बी लम्बी पंक्ति लगी है,
मदिरालय के आंगन में।
झूम रहे पी पीकर मदिरा,
ज्यो झूमे बादल सावन में।
कैसी विचित्र देश का आलम ,
ये सोच रहा ऊपर वाला।
बन्द रहेंगे मंदिर मस्जिद,
खुली रहेगी मधुशाला।