दौर (कविता )
दौर (कविता )


मेरा बुरा दौर चल रहा है
कम्बखत अच्छा कब
किसी का जिदंगी में चलता है।
मेरा बुरा दौर चल रहा है
बुरा इसलिए कि मेरे माँ बाप मुझे
पहली बार स्कूल छोड़ने जा रहे है
मैं रो- रो कर बेहाल हँ पर
आज न माँ की ममता पिघल रही है न नन्हे
बालक को रोते देख कलेजा फट रहा है।
मेरा बुरा दौर चल रहा है
आज मेरी शादी तय हो गयी
न जाने क्यो मेरी पसंद की लड़की को छोड़कर
दूसरी कैसे मेरी परिवार को भा गयी।
क्या करूँ अब सूली तो चढ़ना है
मेरा बुरा दौर चल रहा है
मैं मृत्यु शय्या में हूँ
मेरे दोनों लड़के मेरी संपत्ति का खुद ही
बंटवारा करके आपस मे लड़े रहे हैं
अब ऊपर जाऊंगा बहुत सुख पाऊँगा।