कचरे वाले हैं साहब
कचरे वाले हैं साहब
गली-गली और टोले-मुहल्ले
जो करते है साफ
उसे कहते हैं हम
कचरे वाले हैं साहब।
पीठ पर रख कर बोरी
धूमते रहते अनाप-शनाप
जो करते है देश
और प्रदेश साफ
उसे कहते हैं हम
कचरे वाले हैं साहब।
थकते जरा सा भी नहीं
पेट भरने को करते बाप बाप
पल पल होते उनके
नया जंग से मुलाकात
उसे कहते हैं हम
कचरे वाले हैं साहब।
लाचारी बेबसी होते उसके साथ
किस्मत भी नहीं देता करने दो दो हाथ
ठोकर पर ठोकर लगता
करता छांव की नहीं बात
उसे कहते हैं हम
कचरे वाले हैं साहब।
भौं भौं कुत्ता करता
आदमी कहता इनका क्या है औकात
जो धूमता है कचरे में
वह होता हैं चोर चूहाड़ का बाप
उसे कहते हैं हम
कचरे वाले हैं साहब।