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Sandeep kumar Tiwari

Tragedy

4  

Sandeep kumar Tiwari

Tragedy

कड़वी सच्चाई

कड़वी सच्चाई

1 min
23.6K


धत्त तेरी की ! हाय रे ये जमाने की मार 

कितना बदल गया संसार, धत्त तेरी की !


धर्म हो गया अब व्यापार, धत्त तेरी की 

अंधा हो गया ये संसार, धत्त तेरी की !


पश्चिमी सभ्यता लिया उधार, धत्त तेरी की

भाई को बहन से हो गया प्यार,धत्त तेरी की !


महंगा कपड़ा बदन उघार, धत्त तेरी की

मानवता लुट गई बीच बजार,धत्त तेरी की !


मर्द बनते हैं मोहर मार, धत्त तेरी की

चेहरे पे छपता अख़बार, धत्त तेरी की !


पढ़ा-लिखा है सब बेकार, धत तेरी की

अंगूठा छाप है कारोबार, धत्त तेरी की !


मंत्री बन गया पाॅकेटमार, धत्त तेरी की

पीएचडी हैं लगे कतार, धत्त तेरी की !


भईया बैठे चूल्हा बार, धत्त तेरी की

भाभी गईं हैं हाट-बजार, धत्त तेरी की !


मुर्गी निकली छप्पर फार, धत्त तेरी की

शेर बन गया कुकुर-बिलार, धत्त तेरी की !


हो गया अपना बंटाधार,धत्त तेरी की

आदमी बन गया खरपतवार,धत्त तेरी की !


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