कड़वी सच्चाई
कड़वी सच्चाई
धत्त तेरी की ! हाय रे ये जमाने की मार
कितना बदल गया संसार, धत्त तेरी की !
धर्म हो गया अब व्यापार, धत्त तेरी की
अंधा हो गया ये संसार, धत्त तेरी की !
पश्चिमी सभ्यता लिया उधार, धत्त तेरी की
भाई को बहन से हो गया प्यार,धत्त तेरी की !
महंगा कपड़ा बदन उघार, धत्त तेरी की
मानवता लुट गई बीच बजार,धत्त तेरी की !
मर्द बनते हैं मोहर मार, धत्त तेरी की
चेहरे पे छपता अख़बार, धत्त तेरी की !
पढ़ा-लिखा है सब बेकार, धत तेरी की
अंगूठा छाप है कारोबार, धत्त तेरी की !
मंत्री बन गया पाॅकेटमार, धत्त तेरी की
पीएचडी हैं लगे कतार, धत्त तेरी की !
भईया बैठे चूल्हा बार, धत्त तेरी की
भाभी गईं हैं हाट-बजार, धत्त तेरी की !
मुर्गी निकली छप्पर फार, धत्त तेरी की
शेर बन गया कुकुर-बिलार, धत्त तेरी की !
हो गया अपना बंटाधार,धत्त तेरी की
आदमी बन गया खरपतवार,धत्त तेरी की !