मेरा गांव
मेरा गांव
खोज रहा हूं कब से
मिलता नहीं मुझे मेरा गांव
जुड़ जो गया है हर ओर से
शहर से मेरा गांव
पगडंडियों पर दिखते नहीं खेल
पटरियाँ ही पटरियाँ
जिस पर दौड़ती दिखती है रेल
वह छुप्पन-छुपाई अब नहीं दिखती
राहगीरों की टोली भी अब नहीं सजती
बरगद के पेड़ की
अब नहीं यहां कोई हस्ती
ढूंढते रहे गांव,
उस बरगद के पेड़ की छांव
पर दिखा
एक शहर के बाद दूसरा शहर ही
घर के आंगन में सिमटते खेत ही
ए राहगीरों बता भी दो मुझे
क्या कभी मेरा गांव कहीं देखा है
उस राह का मुझे पता दो
थोड़ा सुकून मिले ऐसा भी
मुझे कुछ बता दो
मुझे मेरे गांव तक पहुंचा दो
मेरी जड़ों से मुझे मिला दो
मैंने भी झोपड़ी बनाई थी कभी वहां
खेतों में फसलें लहलहाती थी जहां
खेत का पता मुझे बता दो
मुझे मेरे गांव का रास्ता दिखा दो
गाड़ियों का शोर यहाँ बहुत है
जिस ओर शोर कम हो ,
बस मेरा गांव उसी ओर है
जहां आकाश में कलरव गूंजे
जिस ओर से मिट्टी की सोंधी खुशबू लौटे
मेरी पगडंडी उसी ओर है
मेरा गांव उसी ओर है।