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मधु प्रधान मधुर

Tragedy

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मधु प्रधान मधुर

Tragedy

मैं चुप हूँ कवी मधु प्रधान मधुर

मैं चुप हूँ कवी मधु प्रधान मधुर

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मैं चुप हूं

   क्योंकि मैं एक लड़की हूं

   मैं चुप हूं

   क्योंकि दायरे में

   मर्यादाओं के जकड़ी हूं


   मैं चुप हूं

   क्योंकि नियम धर्म 

   रीति रिवाज आकर हैं

   मुझ से लिपटे


    मैं चुप हूं

    क्योंकि मुझे बोलना है मना

    पहरे अनेक हैं लगे हुए


    मैं चुप हूं

    क्योंकि चाहता समाज है

    चुप रह कर ही

    मर जाऊं मैं


    मैं चुप हूं

    क्योंकि घर का मैं

    सुंदर एक खिलौना हूं

    कर्तव्य बोध का 

    पुतला हूं निर्जीव 

   मैं चुप हूं। बस मैं चुप हूं।


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