हसीन शाम
हसीन शाम


हसीन बना है आज शाम का नज़ारा,
डुबते सूरज से आलम बना है सुनहरा,
आजा ओ मेरी जानेमन मैं तड़प रहा हूंँ,
इस हसीन शाम में तेरे बिना हूँ अकेला।
तेरे मिलन के लिये दिल हुआ है दीवाना,
रातभर ख्वाबों में देखता हूंँ मैं तेरा चेहरा,
आजा ओ मेरी जानेमन में प्यासा हुआ हूंँ,
इस हसीन शाम में मेरी प्यास तू बुझाना।
यादों की बारात का जमा है मन में मेला,
रोम रोम लहरा रहा है उमंग से आज मेरा,
आज ओ मेरी जानेमन मैं तन्हा बना हूँ,
ईस हसीन शाम में मेरी तन्हांई तू मिटाना।
वादा मिलन का आज जरूर तू निभाना,
दिल मेरा बेकरार है मुझ पे तू रहम करना,
तुझको मेरे दिल में बसाना मैं चाहता हूंँ,
ईस हसीन शाम में मेरे दिल में समा जाना।