चेहरा तेरा-आंखें मेरी
चेहरा तेरा-आंखें मेरी
तेरा खूखसूरत चेहरा मुझको,
पूनम के चांद जैसा लगता है,
आंखें मेरी ढुंढती है तुझको,
तू मुझसे दूर भागती रहती है।
जब भी मै बुलाता हूंँ तुझको,
तू चेहरे पर नकाब लगाती है,
आंखें मेरी तरसती है तुझको,
तू नकाब क्यूंँ नहीं हटाती है?
छूपकर तू देखती है मुझको,
मेरे दिल में आग लगाती है,
सपनें में सताती है तू मुझको,
तेरे पीछे निंद में दौड़ाती है।
दिल से इश्क करता हूंँ तुझको,
तेरी जुदाई मुझको रुलाती है,
आजा दिल में रखूंगा तुझको,
"मुरली" तेरे इश्क का दीवाना है।
रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ-गुजरात)

