हम तो हम है
हम तो हम है
ना हम जुठ बोलते है,
ना हम जुठ सहते है,
सच्चाई सब के सामने ला कर हम,
सब का दिल जीत लेते है।
ना हम बुराई करते है,
ना हम बुराई सहते है,
आवारा लोंगो को सुधारकर हम,
जीवन की राह दिखाते है।
ना हम घमंड करते है,
ना हम घमंड सहते है,
धमंडीओं का नशा उतारकर हम,
निर्मलता का पाठ सिखाते है।
ना हम सितम करते है,
ना हम सितम सहते है,
सितमगरों को जीतकर "मुरली",
मानवता की धारा बहाते है।
रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ)
